पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा (जन्म २७ जून १९६४), जो आमतौर पर पी॰ टी॰ उषा के नाम से जानी जाती हैं, भारत के केरल राज्य की खिलाड़ी हैं। "भारतीय ट्रैक ऍण्ड फ़ील्ड की रानी" माने जानी वाली पी॰ टी॰ उषा भारतीय खेलकूद में १९७९ से हैं। वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं।[2] केरल के कई हिस्सों में परंपरा के अनुसार ही उनके नाम के पहले उनके परिवार/घर का नाम है। उन्हें "पय्योली एक्स्प्रेस" नामक उपनाम दिया गया था।
पी॰ टी॰ उषा का जन्म केरल के कोज़िकोड
जिले के पय्योली ग्राम में हुआ था। १९७६ में केरल राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए एक खेल विद्यालय खोला और उषा को अपने जिले का प्रतिनिधि चुना गया।
कार्यकलाप
१९७९ में उन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय खेलों में भाग लिया, जहाँ ओ॰
ऍम॰ नम्बियार का उनकी ओर ध्यानाकर्षित हुआ, वे अंत तक उनके प्रशिक्षक रहे। १९८०
के मास्को ओलम्पिक में उनकी शुरुआत कुछ खास नहीं रही। १९८२ के नई
दिल्ली एशियाड में उन्हें १००मी व २००मी में रजत पदक मिला, लेकिन एक वर्ष बाद कुवैत में एशियाई ट्रैक और फ़ील्ड प्रतियोगिता में एक नए एशियाई कीर्तिमान के साथ उन्होंने ४००मी में स्वर्ण पदक जीता।१९८३-८९ के बीच में उषा ने एटीऍफ़ खेलों में १३ स्वर्ण जीते। १९८४ के लॉस ऍञ्जेलेस ओलम्पिक की ४०० मी बाधा दौड़ के सेमी फ़ाइनल में वे प्रथम थीं, पर फ़ाइनल में पीछे रह गईं। मिलखा
सिंह के साथ जो १९६० में हुआ, लगभग वैसे ही तीसरे स्थान के लिए दाँतों तले उँगली दबवा देने वाला फ़ोटो
फ़िनिश हुआ। उषा ने १/१०० सेकिंड की वजह से कांस्य पदक गँवा दिया। ४००मी बाधा दौड़ का सेमी फ़ाइनल जीत के वे किसी भी ओलम्पिक प्रतियोगिता के फ़ाइनल में पहुँचने वाली पहली महिला और पाँचवी भारतीय बनीं।
१९८६ में सियोल में हुए दसवें एशियाई खेलों में दौड़ कूद में, पी॰ टी॰ उषा ने ४ स्वर्ण व १ रजत पदक जीते। उन्होंने जितनी भी दौड़ों में भागल लिया, सबमें नए एशियाई खेल कीर्तिमान स्थापित किए। १९८५ के में जकार्ता में हुई एशियाई दौड-कूद प्रतियोगिता में उन्होंने पाँच स्वर्ण पदक जीते। एक ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छः स्वर्ण जीतना भी एक कीर्तिमान है
उषा ने अब तक १०१ अतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। वे दक्षिण
रेलवे में अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। १९८५ में उन्हें पद्म
श्री व अर्जुन पुरस्कार दिया गया
विश्व कीर्तिमान
जकार्ता, इंडोनेशिया में १९८५ की एशियाई दौड़-कूद प्रतियोगिता में उषा ने १००, २००, ४००, ४०० बाधा व ४x४०० रिले में ५ स्वर्ण जीते। उन्होंने ४x४०० रिले में कांस्य भी जीता। किसी भी महिला द्वारा किसी एक ही दौड़ प्रतियोगिता में सबसे अधिक पदक जीतने का यह कीर्तिमान है।
इनाम व सम्मान
·
अर्जुन पुरस्कार विजेता, १९८४।
·
जकार्ता एशियाई दौड़ प्रतियोगिता की महानतम महिला धाविका, १९८५ में।
·
पद्म श्री १९८४ में।
·
एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका १९८४, १९८५, १९८६, १९८७ व १९८९ में।
·
सर्वश्रेष्ठ रेलवे खिलाड़ी के लिए मार्शल टीटो पुरस्कार, १९८४, १९८५, १९८९, व १९९० में।
·
१९८६ सियोल एशियाई खेल में सर्वश्रेष्ठ धाविका होने पर अदिदास स्वर्णिम पादुका ईनाम पाया
·
दौड़ में श्रेष्ठता के लिए ३० अंतर्राष्ट्रीय इनाम।
·
केरल खेल पत्रकार इनाम, १९९९।
·
सर्वश्रेष्ठ धाविका के लिए विश्व ट्रॉफ़ी, १९८५, १९८६
No comments:
Post a Comment